
एंबुलेंस के इंतजार ने घायलों को बनाया लाचार, घंटो तडपते हैं घायल
राजू यादव की रिपोर्ट
हजारीबाग जिले के टाटीझरिया में आपातकालीन परिस्थितियों में आपकी एक कॉल पर सायरन बजाते हुए घटनास्थल तक पहुंच कर आपको इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने वाली 108 एंबुलेंस की सेवा टाटीझरिया प्रखंड क्षेत्र के लोगों को पिछले करीब पांच माह से नहीं मिल पा रहा है।
इससे सड़क दुर्घटना समेत बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में रेफर होने वाले मरीज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के जरूरतमंद निजी वाहन या ऑटो से इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं।
क्या है मामला
बुधवार को तेलियाबाट मे हुए टेंपो सडक हादसे में घायल युवक को एंबुलेंस के इंतजार में घंटों तडपना पडा अंततः उसकी मौत भी हो गई। लोगों का कहना है कि टाटीझरिया अस्पताल में यदि एंबुलेंस रहता तो घटनास्थल से उसे पहुंचने में दस मिनट का समय पर्याप्त था। एंबुलेंस नहीं रहने के कारण दूसरे प्रखंड से एंबुलेंस आने में विलंब हुआ।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाटीझरिया में एंबुलेंस की सर्विस 5 माह से बंद
बता दें कि मरीजों या दुर्घटना में घायलों को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाटीझरिया में एंबुलेंस सर्विस शुरू तो की गई लेकिन पांच माह से बंद कर दिया गया है। लाखों की आबादी और सुदूरवर्ती गांवों वाले टाटीझरिया प्रखंड में एंबुलेंस सुविधा नहीं मिलने से एक्सीडेंटल, मरीज, प्रसूति सब लाचार हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाटीझरिया को मिले 108 एंबुलेंस को श्रावण माह में देवघर भेज दिया गया। इसके बाद से टाटीझरिया में 108 एंबुलेंस सेवा ठप है। देवघर में श्रावणी मेला के समापन के बाद उक्त एंबुलेंस को अन्यत्र भेज दिया गया है। बता दें कि एनएच-522 पर आएदिन सडक हादसे होते हैं। एंबुलेंस सेवा नहीं मिलने से लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने में फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले कुछ दिनों में नेशनल हाईवे पर हादसों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में 108 में कॉल करने पर 20-25 किमी दूर से एंबुलेंस भेजने की बात कहा जाता है। जिसके पहुंचने में काफी समय लग जाता है। क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए निजी वाहन से अस्पताल तक पहुंचने की विवशता है। निजी वाहन से क्रिटिकल मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं मिल पाता है। जिससे कि लोगों के जान का खतरा बना रहता है।



